Story in Hindi Short – प्यार का अहसास: एक सच्ची कहानी!

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Story in Hindi Short:- Vikram Betal को अपनी पीठ पर लाद कर ले जा रहे हैं जंगल से और रास्ता काटने के लिए बेताल विक्रमादित्य को कहानी सुनानी शुरू करते हैं। 

एक ऐसे शख्स की कहानी है ये जो पैसा का बहुत लालची था लकिन एक लड़की के प्यार के लिए उसने दौलत को भी ठुकरा दिय। ये कैसे हुआ और क्या हुआ ये जाने के लिए ये short hindi story अंत तक पड़ें।

एक बार की बात है रवि नाम का एक व्यक्ति था।  वह और अधिक धन प्राप्त करने का बहुत इच्छुक था।एक बार उस शहर में आए एक साधु ने रवि से कहा कि वह जल्द ही बहुत धन प्राप्त करेगा और धनवान बनने वाला है।  यह बात सुनकर रवि अपनी ही दुनिया में खो गया और उसी दिन से उसने काम काज पर जाना ही छोड़ दिया।

कुछ दिनों बाद उस गावं में एक मदन नाक का व्यक्ति आया और रवि से मिलकर उसने रवि से बोला के अगर वो उसकी जगह पांच साल के लिए काम करेगा तो वो उससे एक हज़ार सोने की सिक्के देगा।  ये बात सुनकर रवि बड़ा खुश हुआ और उससे लगा क शायद साधु बाबा की बोली हुई भविष्यवाणी सत्य होने वाली है तो उसने मदन को विस्तार से ये सब वो क्यों कर रहा है समझाने को को बोला।

मदन ने अपनी कहानी रवि को बताना शुरू किया के वो एक लड़की से शादी करना चाहता था और उस लड़की से शादी करने के लिए लड़की के पिता ने उपहार के रूप में एक हज़ार सोने के सिक्के मांगे जिससे देना उसके लिए संभव नहीं था।  

तो मदन के शहर के एक अमीर व्यक्ति चौधरी साहब ने मदन के सामने प्रस्ताव रखा के अगर वो उसके लिए पांच साल काम करेगा तो वो उससे बदले में एक हजार सोने के सिक्के दे देगा जिससे वो अपनी पसंदीदा लड़की के पिता को देकर उससे शादी कर पायेगा।  लकिन कुछ समय के बाद मदन की तबियत खराब रहने लगी जिसकी वजह से उसने नौकरी छोड़ने का फैसला किया। 

चौधरी साहब ने बयान के मुताबिक पांच साल पूरा होने से पहले ही नौकरी छोड़ने के लिए मदन को चेतावनी दी के अगर वो नौकरी छोड़ कर जाता है तो उसके लिए ये ठीक नहीं होगा इसका परिणाम उससे भुगतना पड़ेगा। तब मदन ने चौधरी साहब को बताया के वो अब संन्यास लेना चाहता है और तपस्या के लिए मंदिर जा रहा है तो उससे जाने दे और उससे रोक कर पाप का भागी न बने।  रही उसकी नौकरी की बात तो वो अपनी जगह किसी और को काम करने के लिए तैयार करेगा ताकि उसका वचन झूठा न हो और ये बोल कर मदन वहां से चला गया।

रस्ते में जाते वक़्त मदन को एक साधू मिला जिसने उससे अपनी मदद करने पर खुश होकर खज़ाना प्राप्त करने का मंत्र दिया और साथ ही उससे बोला के अगर वो इस मंत्र को सीख गया तो उससे खज़ाना मिल जायेगा जिससे वो अपना आने वाला जीवन खुशाली से गुजर सकेगा।  उसके बाद मदन ने जंगल में एक कुटिया बना कर वहां पर साधू के बताये हुए मंत्र से घोर तपस्या करने लग गया। 

कुछ टाइम बाद वहां पर एक महिला उसकी कुटिया में आश्रय लेने के लिए आये और वहां रह कर मदन की सेवा करने लगी और कुटिया की देखभाल करने लगी।  महिला की इस सेवा को देख कर मदन ने महिला से बोला के वो खजाने में से उससे उपयुक्त उपहार जरूर देगा। 

मदन को उसके आश्रम में आये महिला ने दिया धोका और उसकी जान लेने का किया षड़यंत्र।

एक बार कुटिया के पीछे जब वह महिला अपने प्रेमी से मिली तो उसके प्रेमी ने महिला से बोला के अगर वो मदन की हत्या कर देती है तो फिर सारा खज़ाना उनका हो जायेगा और वो अपना जीवन ख़ुशी ख़ुशी एक साथ रह सकेंगे।  दोनों को ये बातें करते मदन सुन लेता है और क्रोध में आकर महिला को राक्षसी बनने का श्राप दे देता है जिसके परिणाम स्वरुप वो महिला वही खड़े खड़े राक्षसी बन जाती है और इसके साथ ही मदन अपनी अब तक की तपस्या की साड़ी शक्ति हमेशा के लिए खो देता है।

तभी वो साधू वहां प्रकट हुए और उन्होने मदन को चौधरी साहब को दिए वचन को पूरा करने की याद दिलाये और साथ ही उस महिला को वापिस से राक्षसी से इंसान में बदलने को बोला।  मदन की ये सब कहानी रवि बड़े ही गौर से सुन रहा था और मदन बोलता है के बस चौधरी साहब को दिए गए वचन को पूरा करने के लिए ही वो उसकी जगह किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढ रहा है जो के उसकी मदद कर सके और वो सौभाग्य वश रवि से मिला है और रवि उसकी जगह काम करने को तैयार भी हो गया है।

मदन की ये सारी कहानी सुन कर रवि को मदन पर दया आ गयी और वो चौधरी साहब के यहाँ मदन की जगह पांच साल काम करने के लिए तैयार हो गया। रवि जाकर चौधरी साहब से मिला और उनको बताया के वो मदन की जगह उनके यहाँ पांच साल तक काम करने आया है और बदले में चौधरी साहब को उससे वचन अनुसार एक हज़ार सोने के सिक्के देने होंगे। 

चौधरी साब रवि को बताता है के उसके शहर में रत्ना नाम की सबसे मशहूर रसोइया है और वो चाहता है के रत्न उसके यहाँ पर काम करे लकिन रत्ना पहले ही चौधरी साब का ये प्रस्ताव ठुकरा चुकी है।  यदि रवि रत्ना को उसके यहाँ काम करने के लिए राज़ी कर लेता है तो वो चौधरी साब के यहाँ काम कर सकता है वर्ण उससे किसी भी प्रकार का धन नहीं मिलेगा।

यह सुनकर, रवि सीधे रत्ना के घर गया और रत्ना से कहा कि अगर उसने चौधरी साहब के लिए काम किया तो वह उसके साथ मिलने वाले धन में से आधी संपत्ति उसके साथ साझा करेगा। ये सुनकर रत्ना, जो शुरू में मना कर देती है, रवि की बात सुनकर चौधरी साहब के लिए काम करने के लिए सहमत हो जाती है, और दोनों एक साथ चौधरी साहब के लिए काम करने लगते हैं।

पांच साल पूरे होने के बाद, चौधरी ने मदन को दिए अपने वादे के अनुसार, रवि को एक हजार सोने के सिक्के दिए, जिसने मदन के बदले में पांच साल मदन के लिए काम किया था।  तब रवि ने यह कहते हुए धन लेने से मना कर दिया कि यदि वह रत्ना जिसने इतने वर्षों तक यहाँ उसके लिए काम किया है, को अपनी पत्नी के रूप में प्राप्त कर लेता है, तो यह सबसे बड़ी दौलत होगी और उसे ये सोने के सिक्के नहीं चाहिए। तब वह महिला, जिसे मदन ने राक्षसी बनने का श्राप दिया था, वो श्राप से मुक्त हो गए और उसने भी अपना मानव रूप वापस पा लिया।

इसके बाद बेताल जो विक्रमादित्य के कंधे पर सवार थे विक्रमादित्य से पूछते हैं के ” बताओ राजा विक्रम के रवि, जो धन के लिए इतने उत्सुक था, जब चौधरी साहब ने उसे इतनी संपत्ति देने की पेशकश की तो उसने मना क्यों किया? और कैसे वह महिला राक्षसी श्राप से मुक्त हो गई और उसके बिना कुछ किए फिर से मानव बन गई?

विक्रमादित्य ने उत्तर दिया के ” रवि धन का लालसि जरूर था शुरू में लकिन जब वो रत्ना के साथ काम करने लगा तो उसके चरित्र को देख कर वो उससे प्रेम करने लगा जो के उसकी धन वाली लालसा से कही ऊपर और सच्चा था और उससे वजह से वो रत्ना को पाने के लिए प्रस्तुत की गए सारी धन भी उससे अपने प्रेम के सामने काम ही लगा और जिसके चलते उसने चौधरी साहब को सोने के सिक्के लेने से इंकार कर दिया और उसका ये सच्चा प्यार और धन की तुलना में प्रेम का पलड़ा भारी देख कर भले ही वो महिला के श्राप से रवि सीधे तौर पर जुड़ा नहीं था लकिन फिर भी उसकी इस करनी की वजह से वो महिला भी श्राप से मुक्त होकर वापिस अपने इंसानी रूप में वापिस आ गयी।

ये उत्तर सुनते ही फिर से बेताल जोर जोर से हसने लगा और कंधे से उड़कर वापिस जाके बरगढ़ के पेड़ पर जाकर उल्टा लटक गया।

दोस्तों उम्मीद है के ये कहानी आप सब लोगो को पसंद आये होगी।  बाकी की और hindi stories  के लिए webiste को और एक्स्प्लोर करिये और हमसे जुड़े रहने के लिए धनयवाद।

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Satish Sharma

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