Short hindi Story of Vikram Betal :- अविश्वसनीय चमत्कारी वस्तु

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Short hindi Story of Vikram Betal:- Vikram Betal को अपनी पीठ पर ले जाते हुए जंगल से गुजर रहे थे तो रास्ता काटने के लिए बेताल विक्रमादित्य को एक कहानी सुनना शुरू करते हैं।

एक समय की बात है अजीत सिंह नाम का एक राजा त्रिलोकपुर नामक राज्य पर शासन करता था। राजा को शासन चलने के साथ साथ चमत्कारी चीजों के बारे में खोज करने और देखने का बहुत ही ज्यादा शौक था | दिन प्रतिदिन राजा की चमत्कारी चीजों में रुचि बढ़ती ही जा रहे थी।

एक दिन राजा ने ऐलान किया के वो उन् लोगो को 2 हजार रुपये के सोने के सिक्के देंगे जो भी उनको उनके महल में आकर चमत्कारी चीजें दिखाएंगे या उसके बारे में बताएँगे।  पूरे राज्य में ये बात आग की तरह फ़ैल गए और लोग राजा के महल में अपनी अपनी चमत्कारी चीजों क बारे में बताने के लिए आने लगे।  मुख्य द्वार पर लोगो का जमावड़ा इकठा होने लगा और फिर एक एक कर के राजा को अपनी चमत्कारी चीजें बताने लगे।

इसके अनुसार, आने वाला पहला आदमी वह आदमी था जिसने अपने खेत में काम करते हुए एक चमत्कारी पत्थर खोजने का दावा किया था, जिसमें दिन को रात में बदल देने की शक्ति थी, और जब उसने पत्थर को अपने बक्से से बाहर निकाला, तो महल और उसके बाहर अँधेरा भरा हुआ था, और राजा अजीत सिंह चकित थे। राजा ने तुरन्त उस व्यक्ति को दो हजार स्वर्ण मुद्राएँ दीं।

दूसरे आदमी ने कहा कि जब वह बगीचे में टहल रहा था तो उसने एक “गंधर्व जोड़े” को आकाश में उड़ते हुए देखा, और गंधर्व महिला के सिर पर रखा एक फूल उसके बगीचे में गिर गया, और उसने उस जगह को सुगंधित कर दिया, और यह जिस दिन से उसने उसे रखा है, उस दिन से वह मुरझाया नहीं है। और पूरे महल में उसकी सुगंध फैल गई। राजा ने तुरन्त ही उसे दो हजार स्वर्ण मुद्राएँ भी दे दीं।

अब कौशल नाम का व्यक्ति राजा के सामने आया और जब राजा ने उससे उसकी चमत्कारी वस्तु के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह सीधे महल में नहीं बल्कि चमत्कारी “रिश्वत द्वार” के माध्यम से प्रवेश करता है।  ये बात सुनकर राजा हैरान रह गया और कौशल से पूछा के क्या उसके महल में ऐसा भी कोई रास्ता यही जहाँ से प्रवेश करने के लिए रिश्वत दी जाती है तो कौशल ने साहस पूर्वक बोला के जी हाँ महाराज आपके महल में ऐसे बहुत से द्वार हैं जहाँ से लोगो को महल के अंदर प्रवेश करने के लिए दो सोने के सिक्के द्वारपाल को देने होते हैं।

कौशल ने ये भी बताया के जहाँ राजा के महल में प्रवेश करना आम आदमी के लिए सहज नहीं है वही “रिश्वत द्वार” का उपयोग कर कभी भी राजा के महल में प्रवेश किया जा सकता है, इससे ज्यादा चमत्कारी और क्या हो सकता है महाराज।  आज भी मेरे पास कोई चमत्कारी वास्तु नहीं थी फिर भी उससे आपके मंत्रियो को रिश्वत देकर उससे अंदर प्रवेश करने की अनुमति मिल गए।

यह देख और सुन कर राजा अजीत सिंह को अपने मंत्रियो पर बहुत क्रोध आया और सम्पूर्ण प्रजा के सामने उनका सर शर्म से झुक गया।  तब राजा अजीत सिंह खड़े हुए और कहा कि यह अब तक की सबसे अद्भुत चीज थी और उन्होंने अपने मोतियों का हार कौशल के गले में दाल दिया और उन्हें अपना मुख्यमंत्री बना लिया।

इसके बाद बेताल ने विक्रमादित्य से प्रश्न किया के ” हे राजन अब तुम जवाब दो की पहले दिखाई गई चमत्कारी वस्तुओं की तुलना में कौशल ने जो कहा वह अधिक चमत्कारी कैसे हो सकता है? और क्या यह सही है कि राजा अजीत सिंह, जिसने अन्य दो को दो हजार स्वर्ण मुद्राएँ दीं, ने न केवल कौशल को अपनी मोतियों की माला दी, बल्कि उसे मुख्यमंत्री भी बना दिया?”

विक्रमादित्यन ने उत्तर दिया, “अन्य दो लोगो द्वारा दिखाए गयी वस्तुऐं निश्चित रूप से अद्भुत हैं। लेकिन जब तक इससे उन्हें लाभ नहीं होगा जो इसे धारण करते हैं, तब तक यह देश या लोगों के लिए अच्छा नहीं होगा। लेकिन कौशल ने जो कहा वह देश और लोगों के लिए फायदेमंद है।

इतना ही नहीं, उसने बिना किसी डर के राजा को उसके महल में चल रहे ब्रश्ताचार के बारे में साहसपूर्वक बताया। इसलिए, राजा अजीत सिंह को कौशल ने जो कहा वह बहुत चमत्कारी था, उसे मोतियों का हार भेंट करना और उसे अपना मंत्री बनाना राजा अजीत सिंह का एक दम सही निर्णय था। 

ये सुनते ही बेताल जोर जोर से हसने लगता है और विक्रमादित्य के कंधे से उड़ कर वापिस बरगद के पेड़ पर जाकर उल्टा लटक जाता है।

दोस्तों उम्मीद है क ये कहानी आपको जरूर पसंद आये होगी।  इस ब्लॉग में आपके लिए hindi stories का पूरा चुनिंदा collection है जिससे के आप सब पढ़ कर बहुत ही ज्यादा एन्जॉय करोगे।

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Satish Sharma

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