Hindi Story of Vikram Betal : असली पिता कौन ?
Hindi Story of a man who is Shocked to know who is his actual father?असली पिता कौन ?: दोस्तों विक्रमादित्य और बेताल को कौन नहीं जानता। हम बचपन से लेके आज तक विक्रमादित्य बेताल की hindi stories सुनते आये हैं और जो के बहुत ही ज्यादा रोचक होती थी और आज के बच्चों को भी ये कहानियां रीझा रही हैं। तो चलो फिर आज फिर से एक बार बचपन की यादों को ताजा करते हैं और पढ़ते हैं विक्रमादित्य बेताल की ये कहानी।
घने काले डरावने जंगल में विक्रमादित्य बेताल को ढूंढ़ते हुए जंगल के बीचो बीच उस बड़े से बरगद के पेड़ के पास पहुंच जाते है जहाँ पर बेताल उल्टा लटक रहा होता है। सफ़ेद बाल बड़ी बड़ी आंखें डरावना चेहरे से मुस्कुराते हुए विक्रमादित्य को देख रहा होता हैं। विक्रमादित्य ने निडर होकर बेताल को पकड़ा और अपने कंधे पर दाल कर आगे बढ़ने लगे। रास्ता लम्बा था तो समय गुजरने के लिए बेताल विक्रमादित्य को एक कहानी सुनाते है।

रूपनगर नामक गाओं में एक मोहन नामक एक मशहूर चोर रहता था। वो अपनी चोरियों की वजह से बहुत प्रसिद्ध था। एक रात को वो चोरी करने के लिए नगर में घूम रहा था तभी वो देखता हैं के कुछ पहरेदार उससे वहां घूमते हुए देख लेते हैं और पहचान लेते हैं। मोहन को पकड़ने के लिए पहरेदार मोहन का पीछा करते हैं और खुद की जान बचने के लिए मोहन एक घर में जाके चुप जाता है।
वो घर होता है रजनी का जो एक एक बहुत ही खूबसूरत अविवाहित कन्या थी। दोनों एक दूजे को देखते है और एक दूजे को अपना दिल दे बैठते हैं। फिर आगे वो दोनों ऐसे ही चुप चुप कर मिलने लगे और उनको पता ही नहीं चला के कब उनकी ये मुलाकात प्रेम में बदल गए। मोहन और रजनी प्यार में ऐसे डूब चुके थे के विवाह से पहले ही रजनी मोहन के बचे की गर्भवती हो गए थी।
मोहन रजनी को वादा करता है के वो उससे जल्दी से जल्दी शादी करेगा और फिर एक रात को छोटी करते हुए पुलिस के साथ मुठभेड़ में मोहन को गोली लग जाती है और वो उसकी वही पर ही मृत्यु हो जाती है। रजनी को जब ये बात पता चलती है तो वो बहुत दुखी होती है। रजनी के माता पिता जो के इस बात से अनजान थे के रजनी एक गर्भ धारण किये हुए है उसका विवाह सुमित नाम के एक युवक के साथ कर देते हैं जिसके लिए शोक में डूबी रजनी भी तैयार हो जाती है।
शादी के १० महीने बाद रजनी एक खूबसूरत बालक को जनम देती है और किसी तरह से अपने पति और परिवार को ये विश्वास दिलाने में कामयाब हो जाती है के ये बालक सुमित का ही है। दोनों मिलकर उस बालक का नाम गोपाल रखते हैं और हस्ते खेलते उसका लालन पालन करने लग जाते हैं।
कई वर्ष ऐसे बीत जाते हैं और गोपाल अब एक युवक बन चूका होता है तभी किसी गंभीर बीमारी से गोपाल के पिता सुमित की भी मृत्यु हो जाती है। पिंड दान करने के लिए जब गोपाल पिंड लेकर नदी के पास जाता है तभी नदी में से पिंड लेने के लिए २ हाथ निकलते हैं। एक हाथ होता है मोहन का और दूसरा हाथ होता है सुमित का और दोनों ही गोपाल से पिंड मांगते हैं। यह देख गोपाल असमंजस में पढ़ जाता है ये क्या हो रहा हैं और इस घटना की साड़ी जानकर गोपाल जाके अपनी माता रजनी को देता है जिससे सुनने के बाद रजनी गोपाल को बताती है के उसके असली पिता मोहन ही है।
इसके बाद Betal Vikaramaditya से सवाल करता हैं के
“हे विक्रम तुम तो बहुत बुद्धमान हो न तो बताओ क दोनों हाथो में से गोपाल को किस्से पिंड देना चाहिए, जल्दी बताओ नहीं तो मई तुम्हारे सर के टुकड़े टुकड़े कर दूंगा “
Vikaramaditya Betal से कहते हैं के ” सुनो बेताल, मोहन ने विवाह से पहले ही रजनी को गर्भवती करने का पाप किया था और गोपाल को जनम देने के इलावा मोहन ने और कुछ भी ऐसा नहीं है जो गोपाल के लिए ख़ास किया हो इसमें रजनी का भी उतना ही दोष है जिसने सुमित से सच को छुपाया और उससे साड़ी उम्र अँधेरे में रखा। वही दूसरी तरफ सुमित ने दिल से और अपनी पूरी लगन से गोपाल का लालन पालन किया तो इस हिसाब से गोपाल के हाथों पिंड का असली हकदार और कोई नहीं सुमित ही है।
ये सुनते ही बेताल जोर जोर से हसने लगता है और विक्रमादित्य के कंधे से उड़ जाता है और वापिस से जाकर बरगढ़ के पेड़ पर जाकर उल्टा लटक जाता है।
उम्मीद है दोस्तों ये कहानी आपको पसंद आये होगी। बाकी की hindi stories पढ़ने के लिए निचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें।
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